बाजार में आज जो उछाल दिख रही है, वह दरअसल टैक्स रेजिडेंसी सर्टिफिकेट (टीआरसी) के मुद्दे पर संसद में वित्त मंत्री के बयान और आरबीआई की कर्ज नीति से जुड़ी उम्मीदों का नतीजा है।
बाजार में एफआईआई की ओर से काफी नकदी आ जाने के चलते यह तेजी दिख रही है, लेकिन मुझे नहीं लगता कि इस बाजार में ज्यादा जान है। यह तेजी कहाँ रुक जायेगी, इसे कहना तो मुश्किल है लेकिन हर अंक की बढ़त के साथ इसके लिए गिरावट का जोखिम बढ़ता जा रहा है।
एफआईआई की मौजूदा खरीदारी जारी रहने तक बाजार में यह माहौल रहेगा और उसमें किस स्तर तक बाजार चला जाये, यह कहना मुश्किल है। लेकिन 6000 के निफ्टी पर खरीदारी करना उनके लिए भी नहीं बनता है, इसलिए मुझे थोड़ा आश्चर्य है। लेकिन बाजार ऐसे ही चलता है।
मेरा मानना है कि केवल कल आरबीआई की कर्ज नीति तक के लिए यह खरीदारी हो रही है। तकनीकी विश्लेषण में माना जाता है कि खबरों का इस्तेमाल किसी संरचना को पूरा करने में होता है। कल आरबीआई की ओर से क्या खबर आने वाली है, इसका पूर्वानुमान लगाया जा रहा है।
बाजार के व्यवहार को देख कर यही कहा जा सकता है कि लोग आरबीआई की ओर से रेपो दर में 0.50% अंक की कमी का अंदाजा लगा कर चल रहे हैं। इसलिए अगर कल आरबीआई की ओर से ब्याज दर में अनुमान के मुताबिक ही 0.50% कमी हुई, तब भी बाजार के गिरने की संभावना रहेगी। वैसी स्थिति में लोग कहेंगे कि इसमें कोई आश्चर्य की बात तो है नहीं, और जो होना था वह हो गया। इसलिए तब बाजार नीचे आने लगेगा। लेकिन अगर आरबीआई ने केवल 0.25% की कटौती की, तब तो यह धड़ाम से गिरेगा और गिरावट काफी तीखी होगी। लेकिन दोनों ही स्थितियों में बाजार को नीचे आना होगा, क्योंकि आखिर 0.50% से अधिक कटौती तो नहीं हो सकती। इसलिए अगर 0.50% कटौती हो गयी तो यह कुछ धीरे-धीरे नीचे आयेगा, जबकि 0.25% कटौती पर यह धड़ाम से नीचे आ जायेगा। मेरा आकलन यह है कि कटौती 0.25% की ही होगी।
इसलिए संभव है कि हम कल सुबह तक बाजार को छोटी अवधि के लिए एक शिखर बनाता देखें। आज तो बाजार तेज ही बना रहेगा, लेकिन यह एक शिखर बनाने की प्रक्रिया में है। निफ्टी के लिए जनवरी के शिखर 6112 को पार करना आसान नहीं होगा, क्योंकि वैसा होने पर तकनीकी रूप से बाजार में सब कुछ बदल जायेगा। दरअसल वैसा होने पर अगला बड़ा लक्ष्य तो 7500 का हो जायेगा, लेकिन जाहिर है कि वैसा नहीं होने जा रहा है। निफ्टी 6112 के ऊपर जाने के बाद सामने केवल 6357 की ही बाधा रहेगी, जो जनवरी 2008 का शिखर था। उसके आगे आपके सामने खुला आसमान होगा।
लेकिन तकनीकी विश्लेषण भी आखिरकार बुनियादी कारकों पर निर्भर होता है। छोटी अवधि के लिए आप बुनियादी कारकों (फंडामेंटल फैक्टर) को नजरअंदाज करके केवल माँग-आपूर्ति के आधार पर कोई चाल देख सकते हैं। लेकिन बाजार में बड़ी तेजी की शुरुआत के लिए बुनियादी कारकों में जो बदलाव होने चाहिए, वे अभी नहीं हुए हैं। हमारा बुनियादी ढाँचा (इन्फ्रास्ट्रक्चर) कमजोर है। बाजार में वैसी तेजी को सहारा देने वाली विकास दर (जीडीपी) पाने के लिए जो कुछ करना जरूरी है, वह नहीं हो रहा है। सरकार न तो वह समझ दिखा रही है, न ही वैसी इच्छाशक्ति और न ही वैसा अवसर है क्योंकि चुनाव करीब आते जा रहे हैं। जब तक ये सब चीजें नहीं होतीं, तब तक शेयर बाजार में छोटी अवधि की कोई भी चाल आखिरकार बिखर जायेगी, क्योंकि बुनियादी कारक उस तेजी को सहारा नहीं देंगे। पी के अग्रवाल, निदेशक, पर्पललाइन इन्वेस्टमेंट एडवाइजर्स (P K Agarwal, Director, Purpleline Investment Advisors)
(शेयर मंथन, 02 मई 2013)
Add comment