अभी बाजार में गिरावट का दौर चल रहा है और बाजार को अपना यह चक्र पूरा करना है, चाहे वह 5000 पर हो या 4800 पर या 4600 पर।
एक रोजमर्रा के कारोबारी के लिए 4600 और 4800 में काफी फर्क है, लेकिन एक लंबी अवधि के निवेशक के लिए दोनों में ज्यादा फर्क नहीं है। इससे बहुत ज्यादा गिरने, जैसे कि 3800 जैसे स्तर तक टूटने की आशंका नहीं लगती है।
अभी बाजार में लगातार गिरावट चल रही है, जिसे पकड़ना बड़ा मुश्किल है। इसीलिए कोई ठीक-ठाक वापस उछाल (पुल बैक) भी नहीं मिल पा रही है। कल और आज में जो वापस उछाल मिल गयी, उसी से संतोष करना पड़ेगा। लेकिन उनके आधार पर आप सौदे नहीं कर सकते। अगर आप समझदार और पेशेवर कारोबारी हैं तो आप अभी बाजार से दूर ही रहेंगे। इस समय बाजार में कुछ करने का मतलब है घाटा लेना। इस समय बाजार से पैसा निकालना बहुत मुश्किल काम है। सौदे करना भी चाहें तो बहुत हल्की मात्रा के सौदे करें या चुनिंदा शेयरों में जहाँ कोई चाल दिख रही हो, उनमें सौदे करें। अभी यह बाजार गिरता चाकू है। जब तक यह कहीं रुकता नहीं है और किसी खास स्तर पर थमने के संकेत नहीं देता है, तब तक आप अनुमान के आधार पर कोई सौदा करेंगे तो वह गलत ही होगा।
वैसे अगर आप कारोबारी नजरिये से देखें तो अभी निफ्टी 5300 पर है और उसे अगर 4800 पर जाना है तो 500 अंक बहुत होते हैं। पर उतनी दूर की सोच कर कारोबार करने वाले लोग बहुत कम हैं। अगर एक-दो दिन उल्टा भी पड़ गया तो आपमें यह भरोसा होना चाहिए कि यह पलट कर वापस आयेगा। अभी इस गिरावट का यह चक्र पूरा होने से पहले कोई वापस उछाल आयेगी तो वह ज्यादा लंबे समय तक नहीं टिकेगी। ऐसा नहीं होगा कि कोई उछाल महीने भर टिक जाये। वैसा होने पर तो रुझान ही बदल जायेगा, जो अभी मुश्किल लगता है। अभी जिस रफ्तार से गिरावट आ रही है, उसके अंदर जो आक्रामकता है, उसमें तो कोई उछाल अगर एक हफ्ते भी टिक जाये तो गनीमत है।
हालाँकि एकदम छोटी अवधि के लिए नये बिकवाली सौदे में लाभ-जोखिम अनुपात आपके पक्ष में नहीं होगा। फिलहाल जिन लोगों के बिकवाली सौदे हैं, उनके लिए घाटा काटने का स्तर (स्टॉप लॉस) 5350 पर होगा, या कोई चाहे तो कुछ और ऊपर 5400 पर रख ले। पर लोगों में धैर्य होता नहीं और जैसे ही बाजार कुछ ऊपर जाने लगेगा तो वे बेचैन हो जायेंगे। तब वे यह नहीं सोचेंगे कि मैंने तो 4900 तक का इंतजार करने का फैसला किया था।
अगर निफ्टी 5400 के ऊपर लौट आया तब तो हालत काफी सुधर सकती है, लेकिन रुपये की स्थिति देख कर वैसा होता नजर नहीं आ रहा। विदेशी सस्थागत निवेशक (FII) लगातार बड़ी बिकवाली कर रहे हैं, मानों उन्होंने भारतीय बाजार से हट जाने का फैसला कर लिया हो। घरेलू निवेशक पहले ही बाजार से गायब थे। केवल घरेलू वित्तीय संस्थाएँ इस समय खरीद रही हैं। लोग सोचते हैं कि एफआईआई हमेशा सही होते हैं, लेकिन अब आप समझ सकते हैं कि वे भी गलत हो सकते हैं। पी के अग्रवाल, निदेशक, पर्पललाइन इन्वेस्टमेंट एडवाइजर्स (P K Agarwal, Director, Purpleline Investment Advisors) (शेयर मंथन, 21 अगस्त 2013)
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