बाजार अगले कई वर्षों तक एक टिकाऊ तेजी के दौर में आ गया है, लेकिन बीच-बीच में सुधार वाली गिरावटें आती रहेंगी।
ऐसी हर गिरावट में निवेश श्रेणी वाले शेयरों को जमा करते रहना चाहिए। बाजार के लिए सकारात्मक यह है कि मूल्यांकन अभी यथार्थ के पास हैं। बाजार में आशावाद कायम है। कई कंपनियों के पास निवेश के लिए काफी नकदी भी पड़ी है। खुदरा निवेशकों की सहभागिता भी लौटने लगी है। वहीं एफआईआई की गहरी दिलचस्पी बनी हुई है। लेकिन अगर मोदी सरकार उम्मीदों पर खरी नहीं उतर सकी तो यह बाजार के लिए नकारात्मक होगा। महँगाई, धीमा विकास, ऊँची ब्याज दर और कम बचत दर जैसी चिंताएँ कायम हैं। पी. के. अग्रवाल, निदेशक, पर्पललाइन इन्वेस्टमेंट (P.K Agarwal, Director, Pipeline Investment)
(शेयर मंथन, 09 जुलाई 2014)
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