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एचयूएल (HUL), जीसीपीएल (GCPL) ने की साबुन की कीमतों में 15% तक की कटौती

एफएमसीजी (FMCG) कंपनियों ने कुछ चुनिंदा साबुन ब्रांडों की कीमतों में कटौती का ऐलान किया है। हिंदुस्तान यूनिलीवर (HUL) और गोदरेज कंज्यूमर प्रोडक्ट्स (GCPL) ने अपनी कीमतों में 15% तक की कटौती का ऐलान किया है।

कंपनी ने कीमतों में कटौती का फैसला पाम ऑयल और दूसरे कच्चे माल के दाम में गिरावट के कारण लिया है। एचयूएल (HUL) ने पश्चिमी क्षेत्र में अपने लोकप्रिय ब्रांडों - लाइफब्याय (Lifebuoy) और लक्स (Lux) की कीमतों में 5% से 11% तक की कटौती की है। वहीं गोदरेज समूह की कंपनी गोदरेज कंज्यूमर प्रोडक्ट्स (जीसीपीएल) ने अपने लोकप्रिय साबुन ब्रांड गोदरेज नंबर वन की कीमतों में 13-15% तक की कटौती का ऐलान किया है।

विश्लेषकों की राय में कीमतों में इस कटौती से वित्त-वर्ष 2022-23 की दूसरी छमाही में बिक्री की मात्रा (वॉल्यूम) में वृद्धि देखने को मिलेगी, खास कर ऐसे माहौल में, जब महँगाई के कारण कुल मिला कर माँग में धीमापन बना हुआ हो। वैश्विक स्तर पर पाम ऑयल की कीमतों में कटौती सहित दूसरे कच्चे माल की कीमतों में भी गिरावट देखने को मिली है। जीसीपीएल के मुख्य फाइनेंस अधिकारी यानी सीएफओ (CFO) समीर शाह ने मीडिया को बताया है कि कमोडिटी कीमतों में गिरावट का रुख जारी है। ऐसे में उत्पादों की कीमतों में कटौती का फायदा सबसे पहले ग्राहकों को देने का फैसला किया गया है। कंपनी ने खास कर साबुन की कीमतों में 13-15% तक की कटौती की है। कंपनी ने 5 साबुनों के बंडल पैक की कीमत को 140 रुपये से घटा कर 120 रुपये करने का फैसला लिया है।

एचयूएल (HUL) की ओर से मीडिया को दी गयी जानकारी के मुताबिक पश्चिमी क्षेत्र में कंपनी ने लाइफब्याय और लक्स की कीमतों में कटौती का फैसला लिया है। खबरों के मुताबिक इन साबुन ब्रांडों की कीमत में 5-11% फीसदी तक की कमी की गयी है। हालाँकि प्रवक्ता ने दूसरे ब्रांडों, जैसे सर्फ (Surf), रिन (Rin), व्हील (Wheel) और डव (Dove) की कीमतों में कटौती से इन्कार किया है। पिछले 1 साल में वजन में कटौती और कीमतों में बढ़ोतरी के कारण बिक्री की मात्रा वृद्धि पर असर देखा गया था, लेकिन अभी स्थिति ठीक विपरीत है। कंपनी ने वजन में बढ़ोतरी के साथ कीमतों में भी कटौती की है। एफएमसीजी (FMCG) कंपनियों को सितंबर तिमाही में महँगाई की ऊँची दर और ग्रामीण इलाकों में माँग की कमी की चुनौती का सामना करना पड़ा है। (शेयर मंथन, 10 अक्टूबर 2022)

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