कॉटन वायदा (नवम्बर) की कीमतों में तेजी का रुझान है और कीमतों के 20,500-21,000 रुपये के स्तर पर पहुँचने की संभावना है।
भारतीय कपास वर्तमान में दुनिया में सबसे सस्ती है और इससे निर्यातकों के लिए नयी संभावनाएं पैदा हुई हैं। बांग्लादेश और चीन जैसे पारंपरिक बाजारों के अलावा, व्यापारियों को निर्यात के लिए तुर्की, वियतनाम और इंडोनेशिया जैसे बाजारों पर भी नजर है। दूसरी बात यह है कि महाराष्ट्र के प्रमुख उत्पादन क्षेत्रों में बारिश के कारण कपास के पौधे सड़ने लगे हैं, जिससे बहुत सी उपज बेकार हो गयी है। किसानों का कहना है कि उत्पादन में नुकसान अन्य वर्षों की तुलना में अधिक है। इसलिए, किसान कपास के पौधे को बाहर निकालना चाहते हैं और अन्य विकल्पों के लिए जाना चाहते हैं जो बेहतर रिटर्न सुनिश्चित कर सकते हैं।
चना वायदा (दिसंबर) की कीमतें 5,165-5,400 रुपये के दायरे में कारोबार कर सकती है और कीमतों में प्रत्येक मामूली वृद्धि के बाद बिकवाली दबाव बढ़ सकता है। इस रबी सीजन में मध्य भारतीय राज्यों में दालों की बुआई में तेजी आयी है। मध्य प्रदेश में, बुवाई पिछले साल की समान सप्ताह की तुलना में लगभग 8.24 लाख हेक्टेयर अधिक हुई है, जबकि उत्तर प्रदेश और राजस्थान में किसानों ने क्रमशः 4.26 लाख हेक्टेयर और 3.12 लाख हेक्टेयर में दालों की बुआई की है। अन्य राज्यों में जहाँ दालों का रकबा पिछले रबी सीजन की तुलना में अधिक है, वह राज्य गुजरात और महाराष्ट्र हैं। सबसे ज्यादा बढ़ोतरी चना और मसूर की बुआई क्षेत्रों में हुई।
ग्वारसीड वायदा (दिसंबर) की कीमतों में 3,970 रुपये तक गिरावट हो सकती है, जबकि ग्वारगम वायदा (दिसंबर) की कीमतों में 5,800 रुपये तक गिरावट हो सकती है। राजस्थान, हरियाणा और गुजरात में हाजिर कीमतों में नरमी देखी जा रही है। वर्तमान परिदृश्य में, कमजोर निर्यात माँग, कच्चे तेल और वैश्विक अर्थव्यवस्था की धुंधली तस्वीर और ग्वारसीड की आवक के कारण कीमतों पर दबाव पड़ रहा है। (शेयर मंथन, 23 नवंबर 2020)
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