कॉटन वायदा (जुलाई) की कीमतों को 24,500 रुपये के स्तर पर सहारा रहने की संभावना है। अनाज बाजार से तेजी के सेंटीमेंट के कारण, और पिछले सत्र में अप्रैल की शुरुआत के बाद से अपनी सबसे बड़ी दैनिक गिरावट दर्ज करने के बाद, आईसीई में कल कॉटन जुलाई वायदा की कीमतें 1% से अधिक बढ़ गयी।
कॉटन दिसंबर वायदा की कीमतें 1.35 सेंट या 1.6% बढ़कर 86.25 सेंट प्रति पाउंड हो गयी। अमेरिकी कृषि विभाग की रिपोर्ट के बाद बुधवार को कीमतें 3% से अधिक गिरकर एक सप्ताह में सबसे कम हो गयी थी।
ग्वारसीड वायदा (जुलाई) की कीमतों में 4,150-4,200 रुपये तक बढ़त दर्ज करने की संभावना है, जबकि ग्वारगम वायदा (जुलाई) की कीमतों में 6,450-6,500 रुपये तक बढ़ोतरी होने की संभावना है। वर्तमान समय में, अनुमान है कि प्रमुख उत्पादक क्षेत्रों में बुवाई क्षेत्र पिछले वर्ष की तुलना में कम नहीं हो सकता है क्योंकि किसानों को दलहन और कपास की खेती की ओर रुख करते देखा गया है। अभी तक सारा ध्यान मॉनसून की प्रगति पर है, जो हरियाणा और राजस्थान सहित उत्तर भारत में धीमा हो गया है, जो भारत में ग्वारगम उत्पादन के प्रमुख क्षेत्र हैं। इस बीच, कच्चे तेल में तेजी का रुझान ग्वारगम की निर्यात बिक्री के लिए सकारात्मक है क्योंकि कमोडिटी का उपयोग तेल ड्रिलिंग और खनन उद्योग में किया जाता है।
मेंथा तेल वायदा (जुलाई) की कीमतों के 1,040-1,030 रुपये तक लुढ़कने की संभावना है। ऐसा हाजिर बाजार में आवक बढ़ने के बीच बढ़ते बिकवाली दबाव के कारण हुआ है। पहले मूसालाधर बारिश से मेंथा की शुरुआती पफसल खेतों में ही खराब हो रही थी, लेकिन जब से मौसम बेहतर हुआ तब से किसानों ने फसल की कटाई शुरू कर दी है। किसान दिन भर मेंथा की टंकियों पर फसल की पेराई करते दिख रहे है। अगर सूरज ऐसे ही चमकता है और मौसम सही रहता है तो यह फसल के लिए बहुत फायदेमंद होगा। (शेयर मंथन, 02 जुलाई 2021)
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